ब्रह्माजी की रथयात्रा का विधान और कार्तिक शुक्ल पतिपदा की महिमा

सुमन्तु मुनिने कहा – हे राजा सतानिक ! कार्तिक मासमें जो ब्रह्माजी की रथयात्रा उत्सव करता हैं, वह ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है | कार्तिक की पूर्णिमा को मृगचर्म के आसन पर सावित्री के साथ ब्रह्माजी को रथ में विराजमान करे और विविध वाद्य-ध्वनि के साथ रथयात्रा निकाले | विशिष्ट उत्सव के साथ ब्रह्माजी को रथपर बैठाये और रथ के आगे ब्रह्माजी के परम भक्त ब्राह्मण शाण्डिली पुत्र को स्थापित कर उनकी पूजा करे | ब्राह्मणों के द्वारा स्वस्ति एवं पुण्याहवाचन कराये | उस रात्रि जागरण करे | नृत्य-गीत आदि उत्सव एवं विविध क्रीड़ाएँ ब्रहमाजी के सम्मुख प्रदर्शित करे |
इसप्रकार रात्रिमें जागरण कर प्रतिपदा के दिन प्रात:काल ब्रह्माजी का पूजन करना चाहिये | ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिये, अनन्तर पूण्य शब्दों के साथ रथयात्रा प्रारम्भ करनी चाहिये |
चारों वेदों के ज्ञाता उत्तम ब्राह्मण उस रथको खींचे और रथके आगे वेद पढ़ते हुए ब्राह्मण चलते रहें | ब्रह्माजी के दक्षिण-भागमें सावित्री तथा वाम-भाग में भोजक की स्थापना करें |

रथके आगे शंख, भेरी, मृदंग आदि विविध वाद्य बजते रहें | इसप्रकार सारे नगर में रथको घुमाना चाहिये और नगर की प्रदक्षिणा करनी चाहिये, अनन्तर उसे अपने स्थानपर ले आना चाहिये | आरती करके ब्रह्माजी को उनके मन्दिर में स्थापित करें | इस रथयात्रा को सम्पन्न करनेवाले, रथको खींचनेवाले तथा इसका दर्शन करनेवाले सभी ब्रह्मलोक को प्राप्त करते हैं | दीपावली के दिन ब्रह्माजी के मन्दिर में दीप प्रज्वलित करनेवाला ब्रह्मलोक को प्राप्त करता हैं | दुसरे दिन प्रतिपदा को ब्रह्माजी की पूजा करके स्वयं भी वस्त्र-आभूषण से अलंकृत होना चाहिये | यह प्रतिपदा तिथि ब्रह्माजी को बहुत प्रिय है | इसी तिथि से बलि के राज्य का आरम्भ हुआ है | इस दिन ब्रह्माजी का पूजन कर ब्राह्मण-भोजन करानेसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है |
चैत्र मासमें कृष्णप्रतिपदा के दिन (होली जलाने के दुसरे दिन ) चाण्डाल का स्पर्श कर स्नान करनेसे सभी आधि-व्याधियाँ दूर हो जाती है | उस दिन गौ, महिष आदि को अलंकृतकर उन्हें मंडप के नीचे रखना चाहिये तथा ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिये | चैत्र, आश्विन और कार्तिक इन तीनों महीनों की प्रतिपदा श्रेष्ठ हैं, किंतु इनमें कार्तिक की प्रतिपदा विशेष श्रेष्ठ है | इस दिन किया हुआ स्नान-दान आदि सौ गुने फलको देता है | राजा बलि को इसी दिन राज्य मिला था, इसलिये कार्तिक की प्रतिपदा श्रेष्ठ मानी जाती है |