बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है। इस पाठ के प्रभाव से हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है। जिस घर में नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ होता है वह घर दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत और असाध्य रोग के प्रकोप से सुरक्षित रहता है।
सामग्री –
√ दीपक (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल को गंगाजल में भिंगों कर मिश्रण तैयार कर लें और इस मिश्रण से एक दिया बनायें )
√ हनुमान जी की मूर्ति अथवा चित्र
√ धूप
√ सिंदूर
√ तिल के तेल
√ बत्ती (अपनी लम्बाई के बराबर कलावे अथवा एक लाल रंग के कच्चे सूत को काटकर पाँच बार मोड़ लें और इसकी बत्ती बनायें )
√ गूग्गल
√ नैवेद्य
√ लाल वस्त्र
√ लाल फूल
√ अक्षत
√ आसन
बजरंग बाण पाठ विधि : -
यह पाठ किसी भी मंगलवार अथवा शनिवार से शुरु कर सकते हैं । साधक नित्यक्रम से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र पहन लें और शुद्ध हो जायें । हनुमान जी की मूर्ति अथवा चित्र को चौकी पर स्थापित कर लें । हनुमान जी के निमित्त संकल्प करें । भगवान की धूप ,दीप ,सिंदूर, फूल से पूजा करें, नैवैद्य तथा अक्षत चढ़ायें, वस्त्र अर्पित करें । गुग्गल की धूनी जलायें । दोनों हाथ जोड़कर बजरंग बली हनुमान जी का ध्यान करते हुए ध्यान करें। उसके बाद पाठ शुरु करें ।
बजरंग बाण ध्यान
श्रीरामअतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।