महाशिवरात्री पूजन विधि, व्रत विधि एवं व्रत कथा
Mahashivaratri Pujan Vidhi, Vrat Vidhi and Vrat Katha
फाल्गुन कृष्ण पक्ष में जिस दिन अर्धरात्रि में चतुर्दशी पड़ती हो, उस दिन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। यह व्रत 18 February 2023 (Saturday) को है।
भोग-मोक्ष दोनों फल प्राप्त करने की इच्छा वालों को शिवरात्रि का व्रत अवश्य हीं करना चाहिये। शिवरात्रि व्रत से अधिक मनुष्य मात्र का हित करनेवाला अन्य कोई साधन नहीं है।
यह व्रत मनुष्य के सभी वर्गों तथा चारों आश्रमों, स्त्री, पुरुष, बालक-वृन्द - सभी के लिये धर्म का श्रेष्ठ साधन माना गया है। इस व्रत को छोड़कर दूसरा कोई मनुष्यों के लिये हितकारक व्रत नहीं है। यह व्रत सब के लिये धर्म का उत्तम साधन है।
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महाशिवरात्री पूजन सामग्री - Mahashivaratri Pujan Samagree
1. जल
2. गंगा जल
3. गाय का दूध (कच्चा)
4. दही
5. फूल (कमल, कनेर, आक, शंखपुष्प)
6. फूल माला
7. बेल पत्र
8. मधु
9. शक्कर
10. घी
11. कपूर
12. रुइ की बत्ती
13. प्लेट
14. कपड़ा
15. यज्ञोपवीत
16. सुपारी
17. इलायची
18. लौंग
19. पान का पत्ता
20. सफेद चंदन
21. धूप
22. दिया
23. धतुरा
24. भांग
25. जल पात्र (लोटा)
26. चम्मच
27. नैवेद्य (अल-अलग प्रहरके लिये अलग-अलग नैवेद्य- पकवान, खीर, पुआ, उड़द, मूँग, सप्तधान्य)
28. फल (श्रीफल, नारियल, बिजौरा नीम्बू, अनार, केला)
29. अक्षत
३०. तिल
३१. जौ
साधक प्रात: काल उठकर नित्य कर्म कर, शुद्ध हों शिव मंदिर जायें। सबसे पहले पंचोपचार विधि (धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, फूल) से शिव की पूजा करें। उसके बाद नमस्कार कर शिवरात्रि व्रत का संकल्प करें।
चारो प्रहर की शिव-पूजन विधि:-
1. प्रथम प्रहर में पाँच कृत्यों से शिव का पूजन करें। प्रत्येक द्रव्यों को मंत्रों के साथ शिव को अर्पित करें। कमल के एक सौ दल और कनेर के पुष्प अर्पित करें। पकवान तथा नैवेद्य अर्पित करें। अर्घ्य, श्रीफल, बिल्वपत्र तथा नारियल अर्पित करें। उसके बाद शिव जी पर जल चढ़ायें । तत्पश्चात् “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र का एक माला जप करें, तथा विसर्जन करें (विसर्जन हर प्रहर की पूजा के पश्चात करें)
2. दूसरा प्रहर शुरु होने पर शिव जी की दूसरी बार पूजा करें। दूसरे प्रहर में खीर का नैवेद्य और बिजौरा नीम्बू के साथ अर्घ्य अर्पित करें। दूसरे प्रहर में पहले प्रहर से दोगुणे मंत्र का जाप करना चाहिये।
3. तीसरे प्रहर में पूआ का नैवेद्य और जौ के स्थान पर गेहूँ का उपयोग करें। अनार के फल के साथ अर्घ्य दें। आक के पुष्प अर्पित करें तथा कर्पूर से आरती करें। तीसरे प्रहर में दूसरे प्रहर से दोगुणे मंत्र का जाप करना चाहिये।
4. चौथे प्रहर में उड़द, मूँग, सप्तधान्य, शंखपुष्प तथा बिल्वपत्रों से पूजन करें। भाँति-भाँति के नैवेद्य अथवा उड़द के बड़ें अर्पित करें। केले के फल अथवा विभिन्न फलों के साथ अर्घ्य दें। चौथे प्रहर में तीसरे प्रहर से दोगुणे मंत्र का जाप करना चाहिये। उसके बाद सुबह होने तक भजन कीर्तन करें।
सुबह होने पर पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिव जी की पूजा करें तथा यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान दे।
महाशिवरात्री पूजन विधि
Mahashivaratri Pujan Vidhi
प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निवृत हो स्नान कर शुद्ध हो स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद किसी भी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन करके भगवान शिव को नमस्कार करें। नमस्कार करने के पश्चात् उत्तम रीति से संकल्प करे-
• संकल्प :- हाथ में अक्षत, तिल, जौ, पान, सुपारी, सिक्के एवं जल लेकर निम्न मंत्र से शिवरात्रि व्रत का संकल्प करें: -
हाथ की सभी सामग्री को शिवलिंग के पास अर्पित कर दें।
संकल्प करने के बाद पूजन सामग्री एकत्रित कर लें। रात्रि को दुबारा स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिव-मंदिर के प्रांगण में सभी पूजन सामग्री के साथ जायें। शिव जी के दक्षिण या पश्चिम भाग में सभी पूजन सामग्री को रखकर आसन बिछाकर बैठ जायें।
• शुद्धिकरण:- हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुये अपने ऊपर जल छिड़क कर स्वयं को शुद्ध कर लें।
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुये पूजन सामग्री और आसन पर जल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
• पवित्रीकरण:- अपने आत्मा की शुद्धि के लिये मुख में एक-एक बूंद जल डलकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:-
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
इसके बाद “ॐ हृषिकेशाय नमः” कहते हुये अंगूठे से होंठ को पोछ ले।
इसके बाद स्वच्छ जल से हाथ को धो लें।
• ध्यानम्- अब दोनों हाथ जोड़कर भोलेनाथ का ध्यान करें:-
• आवाहनम्- निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये शिव का आवाह्न करें :-
• आसनम्- निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये शिवजी को बैठने के लिये आसन समर्पित करें
• पाद्यम्- निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुये शिवजी को पैर धोने के लिये जल समर्पित करें :-