श्री रामचरित मानस (बालकांड) - Ram Charit Manas (Baalkaand) in Hindi - Page 1 / 44
श्री रामचरित मानस का पाठ अधिकांशत: नवरात्रि के समय किया जाता है। चैत्र अथवा शारदिय नवरात्र में रामचरित मानस का पाठ किया जाता है। अन्य दिनों में भी यह पाठ कर सकते हैं।
॥ श्री हरि: ॥
पारायण-विधि
श्रीरामचरित मानस का विधिपूर्वक पाठ करने से वालों को पाठ आरम्भ करने के पहले श्रीतुलसीदासजी, श्रीवाल्मीकिजी, श्रीशिवजी तथा श्रीहनुमानजी का आवाहन-पूजन करने के पश्चात् तीनों भाइयों सहित श्रीसीतारामजी का आवाहन, षोडशोपचार-पूजन और ध्यान करना चाहिये।इसके बाद पाठ आरम्भ करना चाहिये।
आवाहन- मंत्र
आवाहन मन्त्र (तुलसीदास) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर सबसे पहले श्री तुलसीदासजी का आवाहन करें।
तुलसीक नमस्तुभ्यमिहागच्छ शुचिव्रत।
नैर्ऋत्य उपविश्येदं पूजनं प्रतिगृह्यताम्।।१।।
ॐ तुलसीदासाय नमः
अक्षत तथा फूल श्री तुलसीदासजी के निमित्त पूजा स्थान पर छोड़ दें ।
आवाहन मन्त्र (वाल्मीकी) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर श्रीवाल्मीकीजी का आवाहन करें।
श्रीवाल्मीक नमस्तुभ्यमिहागच्छ शुभप्रद।
उत्तरपूर्वयोर्मध्ये तिष्ठ गृह्णीष्व मेऽर्चनम्।।२।।
ॐ वाल्मीकाय नमः
अक्षत तथा फूल श्री वाल्मीकीजी के निमित्त पूजा स्थान पर छोड़ दें
आवाहन मन्त्र (श्रीशिव) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर श्रीवाल्मीकीजी का आवाहन करें।
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर भगवान शिव का आवाहन करें।
गौरीपते नमस्तुभ्यमिहागच्छ महेश्वर।
पूर्वदक्षिणयोर्मध्ये तिष्ठ पूजां गृहाण मे।।३।।
ॐ गौरीपतये नमः
अक्षत तथा फूल भगवान शिव के निमित्त पूजा स्थान पर छोड़ दें
आवाहन मन्त्र (लक्ष्मण) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर श्री लक्ष्मणजी का आवाहन करें।
श्रीलक्ष्मण नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
याम्यभागे समातिष्ठ पूजनं संगृहाण मे।।४।।
ॐ श्रीसपत्नीकाय लक्ष्मणाय नमः
अक्षत तथा फूल श्री लक्ष्मणजी के निमित्त पूजा स्थान पर छोड़ दें
आवाहन मन्त्र (शत्रुघ्न) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर श्री शत्रुघ्नजी का आवाहन करें।
श्रीशत्रुघ्न नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
पीठस्य पश्चिमे भागे पूजनं स्वीकुरुष्व मे।।५।।
ॐ श्रीसपत्नीकाय शत्रुघ्नाय नमः
अक्षत तथा फूल श्री शत्रुघ्नजी के निमित्त पूजा स्थान पर छोड़ दें
आवाहन मन्त्र (भरत) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर श्री भरतजी का आवाहन करें।
श्रीभरत नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
पीठकस्योत्तरे भागे तिष्ठ पूजां गृहाण मे।।६।।
ॐ श्रीसपत्नीकाय भरताय नमः
अक्षत तथा फूल श्री भरतजी के निमित्त पूजा स्थान पर छोड़ दें
आवाहन मन्त्र (श्रीहनुमानजी) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर श्री हनुमानजी का आवाहन करें।
श्रीहनुमन्नमस्तुभ्यमिहागच्छ कृपानिधे।
पूर्वभागे समातिष्ठ पूजनं स्वीकुरु प्रभो।।७।।
ॐ हनुमते नमः.
अक्षत तथा फूल श्री हनुमानजी के निमित्त पूजा स्थान पर छोड़ दें
आवाहन मन्त्र (श्रीराम जी) :-
हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर श्री राम जी का ध्यान तथा आवाहन करें।
अथ प्रधानपूजा च कर्तव्या विधिपूर्वकम्।
पुष्पाञ्जलिं गृहीत्वा तु ध्यानं कुर्यात्परस्य च।।८।।
रक्ताम्भोजदलाभिरामनयनं पीताम्बरालंकृतं
श्यामांगं द्विभुजं प्रसन्नवदनं श्रीसीतया शोभितम्।
कारुण्यामृतसागरं प्रियगणैर्भ्रात्रादिभिर्भावितं
वन्दे विष्णुशिवादिसेव्यमनिशं भक्तेष्टसिद्धिप्रदम्।।९।।
आगच्छ जानकीनाथ जानक्या सह राघव।
गृहाण मम पूजां च वायुपुत्रादिभिर्युतः।।१०।।
इत्यावाहनम्
अक्षत तथा फूल श्री राम जी पर समर्पित करें।
आसन मन्त्र (श्रीराम जी) :-
सुवर्णरचितं राम दिव्यास्तरणशोभितम्।
आसनं हि मया दत्तं गृहाण मणिचित्रितम्।।११।।
इस मंत्र के साथ श्री रामजी को बैठने के लिये आसन प्रदान करें।
इति षोडशोपचारैः पूजयेत्
विनियोग
हाथ में जल लेकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री राम जी को जल अर्पित करें।
ॐ अस्य श्रीमन्मानसरामायणश्रीरामचरितस्य
श्रीशिवकाकभुशुण्डियाज्ञवल्क्यगोस्वामीतुलसीदासा ऋषयः
श्रीसीतरामो देवता श्रीरामनाम बीजं भवरोगहरी
भक्तिः शक्तिः मम नियन्त्रिताशेषविघ्नतया
श्रीसीतारामप्रीतिपूर्वकसकलमनोरथसिद्धयर्थं पाठे विनियोगः।
अथाचमनम्
हाथ में जल लेकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री राम जी को आचमन के लिये जल अर्पित करें।
श्रीसीतारामाभ्यां नमः। श्रीरामचन्द्राय नमः।
श्रीरामभद्राय नमः।
इति मन्त्रत्रितयेन आचमनं कुर्यात्। श्रीयुगलबीजमन्त्रेण प्राणायामं कुर्यात्।।
अथ करन्यासः
करन्यास में हाथ की विभिन्न अँगुलियों, हथेलियों और हाथ के पृष्ठभाग में मन्त्रों का न्यास (स्थापन) किया जाता है ।
जग मंगल गुन ग्राम राम के। दानि मुकुति धन धरम धाम के।।
अगुंष्ठाभ्यां नमः
राम राम कहि जे जमुहाहीं। तिन्हहि न पापपुंज समुहाहीं।।
तर्जनीभ्यां नमः
राम सकल नामन्ह ते अधिका। होउ नाथ अघ खग गन बधिका।।
मध्यमाभ्यां नमः
उमा दारु जोषित की नाईं। सबहि नचावत रामु गोसाईं।।
अनामिकाभ्यां नमः
सन्मुख होइ जीव मोहि जबहीं। जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं।।
कनिष्ठिकाभ्यां नमः
मामभिरक्षय रघुकुल नायक। धृत बर चाप रुचिर कर सायक।।
करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः
इति करन्यासः
अथ ह्रदयादिन्यासः
इसमें दाहिने हाथ की पाँचों अँगुलियों से ‘हृदय’ आदि अंगों का स्पर्श किया जाता है।
जग मंगल गुन ग्राम राम के। दानि मुकुति धन धरम धाम के।।
ह्रदयाय नमः।
राम राम कहि जे जमुहाहीं। तिन्हहि न पापपुंज समुहाहीं।।
शिरसे स्वाहा।
राम सकल नामन्ह ते अधिका। होउ नाथ अघ खग गन बधिका।।
शिखायै वषट्।
उमा दारु जोषित की नाईं। सबहि नचावत रामु गोसाईं।।
कवचाय हुम्
सन्मुख होइ जीव मोहि जबहीं। जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं।।
नेत्राभ्यां वौषट्
मामभिरक्षय रघुकुल नायक। धृत बर चाप रुचिर कर सायक।।
अस्त्राय फट्
इति ह्रदयादिन्यासः
अथ ध्यानम्
दोनों हाथ जोड़कर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्रजी का ध्यान करें।
मामवलोकय पंकजलोचन। कृपा बिलोकनि सोच बिमोचन।।
नील तामरस स्याम काम अरि। ह्रदय कंज मकरंद मधुप हरि।।
जातुधान बरुथ बल भंजन। मुनि सज्जन रंजन अघ गंजन।।
भूसुर ससि नव बृंद बलाहक। असरन सरन दीन जन गाहक।।
भुजबल बिपुल भार महि खंडित। खर दूषन बिराध बध पंडित।।
रावनारि सुखरुप भूपबर। जय दसरथ कुल कुमुद सुधाकर।।
सुजस पुरान बिदित निगमागम। गावत सुर मुनि संत समागम।।
कारुनीक ब्यलीक मद खंडन। सब विधि कुसल कोसला मंडन।।
कलि मल मथन नाम ममताहन। तुलसिदास प्रभु पाहि प्रनत जन।।
इति ध्यानम्
इसके बाद श्री राम चरितमानस का पाठ आरम्भ करें।