भारत के 12 ज्योतिर्लिंग संक्षिप्त में (12 Jyotirlinga) जानिए देश में कहां स्थित हैं ?
ये हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग, यहां करें दर्शन
जहां-जहां ज्योतिर्लिंग हैं, उन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पूजन, आराधना और नाम जपने मात्र से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। बाबा भोले की विशेष कृपा बनी रहती है। आइये द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराते हैं।
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है, यह मंदिर गुजरात (Gujarat) राज्य के सौराष्ट्र (Saurashtra) क्षेत्र में स्थित है, जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चन्द्र देव ने की थी, विदेशी आक्रमणों के कारण यह सत्रह बार नष्ट हो चुका है, हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है, सोमवार के दिन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन व पूजा करने से मनुष्य के सभी पापों और तीनों तापों का नाश हो जाता है, और भोलेनाथ शीवजी में भक्ति बढ़ती है।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjun Jyotirling)
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh) में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम (Shree Shail) के पर्वत पर स्थित है, इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान है, अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं, कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं, सोमवार एवम् श्रावण महीने में शिवजी के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जीवन में मनुष्य को कम से कम एक बार तो यहाँ आकर दर्शन का लाभ जरूर उठाना चाहिये।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirling)
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन (Ujjain) नगरी में स्थित है, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये सृष्टि के एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, यहाँ प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है, महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और जीवन पर आए हुये संकट को टालने के लिये की जाती है, उज्जैनवासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं, और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
4. ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirling)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के प्रसिद्ध शहर इंदौर (Indore) के समीप स्थित है, जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है, और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊँ का आकार बनता है, ऊँ शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है, इसलिये किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊँ के उच्चारण के साथ ही किया जाता है, यह ज्योतिर्लिंग ॐ कार अर्थात ऊँ का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirling)
केदारनाथ (Kedarnath) स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है, यह उत्तराखंड (Uttarakhand) में स्थित है, बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है, केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है, यह तीर्थ भगवान् शिवजी को अत्यंत प्रिय है, जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिवजी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bheemashankar Jyotirling)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूणे जिले (Pune District) में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है, इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं, तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishwanath Jyotirling)
काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) ज्योतिर्लिंग भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों मे प्रमुख है, यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के काशी नामक स्थान पर स्थित है, काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है, इसलिये सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है, काशी की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा, इसकी रक्षा के लिए भगवान् शिवजी काशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे, और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trayambkeshwar Jyotirling)
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य (Maharashtra) के नासिक (Nasik) जिले में स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है, इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है, भगवान् शिवजी का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है, कहा जाता है कि भगवान् शिवजी को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।
9.वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Viadyanath Jyotirling)
श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवाँ स्थान बताया गया है, भगवान् श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है, यह स्थान झारखंड (Jharkhand) राज्य (पूर्व में बिहार ) के देवघर (Devghar) जिला में पड़ता है, मान्यता है कि बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र सभी व्याधियाँ समाप्त हो जाती है, तथा शिवलोक की प्राप्ति होती है।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirling)
नागेश्वर (Nageshwar) ज्योतिर्लिंग गुजरात (Gujarat) के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका (Dwarka) स्थान में स्थित है, धर्म शास्त्रों में भगवान् शिवजी नागों के देवता है, और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है, भगवान् शिवजी का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है, द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी ज्यादा नहीं है, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है, कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहाँ दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनायें पूरी हो जाती है।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirling)
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य (Tamilnadu) के रामनाथपुरं (Ramnathpur) नामक स्थान में स्थित है, भगवान् शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है, इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान् श्रीरामजी ने की थी, भगवान् रामजी के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान् रामजी का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirling Temple)
घृष्णेश्वर महादेव (Grishneshwar Mahadev) का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद शहर (Aurangabad City) के समीप दौलताबाद (Daultabad) के पास स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।
अगर सुबह-शाम इन बारह ज्योतिर्लिङ्गों के नाम का उच्चारण भी करते हैं, तो हमारे पूर्वजन्मों के सभी पाप कट जाते हैं, एवम् शिवलोक की प्राप्ति होती है,