श्री शुकदेव का महाराज जनक को गुरु धारण करना
शुकदेव जी फिर इस संसार में गुरु की खोज में इधर-उधर घूमने लगे। मगर अपने से बढ़कर ज्ञानी उनको कहीं नहीं मिला। इस पर वह श्री वेदव्यास जी की आज्ञा से महाराज जनक के पास गये। लेकिन महाराज जनक के पास कर्म, स्त्री व राजपाट के कारण उनको ग्लानि हुई । लेकिन राजा जनक ने जब उनका यह हाल देखा तो अपनी माया से उन्होंने सारे नगर को भस्म कर डाला, राजभवन भी भस्म होने लगा, लेकिन राजभवन के जलने से महाराज जनक और पत्नी का चित्त चलायमान नहीं हुआ। किंतु श्री शुकदेव जी का चित्त व्याकुल होने लगा। शुकदेव जी को अमर कथा के सुनने तथा अपने अमर हो जाने का अभिमान था। उनकी व्याकुलता को देखकर महाराज जनक बोले- “आप क्यों घबरा रहे हैं ? आप तो अमर हैं । लेकिन हमारा शरीर अवश्य जलेगा ।” इस पर भी जब श्री शुकदेव जी की व्याकुलता दूर न हुई तो महाराज जनक ने अपनी माया से अग्नि पुन: शांत कर दी और प्रत्येक वस्तु पूर्ववत् हो गई। यह देखकर श्री शुकदेव जी ने महाराज जनक को अपना गुरु बना लिया और उनसे उपदेश लिया।
इसके बाद श्री शुकदेव जी नैमिषारण्य गये। वहां पर ऋषियों-महाऋषियों ने उनका बड़ा आदर-सत्कार किया। ऋषियों-महर्षियों ने उनसे अमर कथा सुनाने के लिए प्रार्थना की। श्री शुकदेव जी बोले इस कथा के सुनने वाले अमर हो जाते हैं। इसके पश्चात् उन्होंने कथा सुनानी आरम्भ की। कथा आरम्भ होने के साथ ही कैलाश-पर्वत, क्षीरसागर और ब्रह्मलोक हिलने लगे। ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा समस्त देवता उस स्थान पर पहुँचे जहां पर अमर कथा हो रही थी। भगवान शंकर को स्मरण हुआ कि यदि इस कथा के सुनने वाले अमर हो गये तो पृथ्वी का संचालन बंद हो जायेगा और फिर देवताओं की प्रतिष्ठा में अंतर आ जायेगा। इसलिए भगवान श्री शंकर क्रोध में भर आये और उन्होंने ने श्राप दिया कि इस अमर कथा को सुनने वाले को शिव-लोक की प्राप्ति होगी वह अमर नहीं होगा ।
Shree Shukadev hold Mahaaraj Janak As His Teacher
Shukadev Jee wandered around world in search of teacher. But he did not found anyone more scholar than him.So, he went to Mahaaraaj Janak with the order of Shree Ved Vyaas. But he was remorseful to saw Mahaaraaj Janak’s work,wife and kingdom. When Mahaaraaj Janak saw his condition then Janak destroyed whole city through his illusion. The palace has also destroyed. Mahaaraaj Janak and his wife did not distracted to saw the destruction of whole things.But Shree Shukadev get distracted from all those happenings. Shree Shukadev had a ego that he is immoratal due to amar katha.Mahaaraaj Janak told him to saw his anxiety- “Why are you distracting? You are immortal. But our body must burn.” When Shree Shukadev’s anxiety does not removed, then Mahaaraaj Janak blowout the fire with his illusion and all the items got their previous form. Shree Shukadev Jee made Mahaaraaj Janak as his teacher after shown this. Maharaaj Janak preached him.
Thereafter, Shree Shukadev went to naimishaaranya. All the saints honored and requested him to tell the Amara Kathaa.Shree Shukadv Jee told that people become immortal to hear this story.After that, He started to tell the story.Kailaash mountain,Ksheersaagar and Brahmalok began moving with the naration of story.Brahmaa,Vishnu,Shiva and all gods reached at that place where Shukadev Jee was narrating the amar katha. God Shankar was remembered that if the people became immortal after listen this story then operation of earth will be closed and the difference will come in the reputation of Gods. So, God Shankar cursed in anger that the people achieve Shiva-Lok instead of became immortal.