महादेव अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं

देवो के देव महादेव...जिनका न आदि है ना ही अंत है. भगवान शिव को भोलेबाबा भी कहते है क्यों जल्द प्रसन्न हो कर सब पर दया बरसाते हैं. शास्त्रों में शिवजी के स्वरूव के संबंध में कई महत्तवपूर्ण बातें बताई गई हैं. भगवान शिव सभी देवी देवता से बिल्कुल अलग है. सभी देवी-देवता भारी-भारी गहनों और वस्त्रों से लदे होते हैं. इन भगवानों की मूर्तियां मंदिरों में देखें या फिर इनके चित्रों पर गौर करें. हर जगह यह सभी सोने-चांदी से जड़े आभूषणों में दिखाई देते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर भगवान शिव क्यों बिना आभूषणों के रहते हैं. उनके गले में माला के नाम पर सांप, सिर पर मुकुट की जगह जटाएं, शरीर पर मलमल के कपड़ों के बजाय बाघ की खाल और शरीर पर चंदन के लेप के बजाय भस्म क्यों है? इस संबंध में धार्मिक मान्यता यह है कि शिव को मृत्यु का स्वामी माना गया है और शिवजी शव के जलने के बाद बची भस्म को अपने शरीर पर धारण करते हैं. इस प्रकार शिवजी भस्म लगाकर हमें यह संदेश देते हैं कि यह हमारा यह शरीर नश्वर है और एक दिन इसी भस्म की तरह मिट्टी में विलिन हो जाएगा. अत: हमें इस नश्वर शरीर पर गर्व नहीं करना चाहिए. कोई व्यक्ति कितना भी सुंदर क्यों न हो, मृत्यु के बाद उसका शरीर इसी तरह भस्म बन जाएगा. अत: हमें किसी भी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए.

वहीं, दूसरी तरफ एक और कथा प्रचलित है जब भगवान शिव और माता सति को यज्ञ के लिए निमंत्रण ना मिलने पर सति ने क्रोध में आकर खुद को अग्नि के हवाले कर दिया था. उस वक्त भगवान शिव माता सति का शव लेकर धरती से लेकर आकाश तक हर जगह घूमे. विष्णु जी भगवान शिव की ये दशा देख ना पाए और माता सति के शव को छूकर उन्होंने उसे भस्म में बदल दिया. अपने हाथों में सति की जगह भस्म देखकर शिव जी और परेशान हो गए और बाद में भस्म को देखकर माता सति को याद कर वो राख उन्होंने अपने शरीर पर लगा ली.
वहीं, इन दोनों के अलावा एक कथा और भी प्रचलित है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं. यह पर्वत बहुत ठंडा है. कैलाश पर खुद को उस ठंड से बचाए रखने के लिए भगवान शिव भस्म लगाते हैं.