शंकर तेरी जटा में, बहती है गंगाधारा।
शंकर तेरी जटा में, बहती है गंगाधारा।
काली घटा के अन्दर, जिमि दामिनी उजारा ॥
गल मुण्डमाल राजे, शशि भाल में विराजे ।
डमरू निदान बाजे, कर में त्रिशूल भारा॥
शंकर तेरी जटा में.....
दृग तीन तेज राशी, कटिबन्ध भाग फाँसी।
गिरिजा है संग दासी, सब विश्व के अधारा॥
शंकर तेरी जटा में.....
मृग चर्म भस्मधारी, वृषभराज पर सवारी ।
निज भक्त दु:खहारी, कैलास में बिहारा॥
शंकर तेरी जटा में.....
शिव नाम जो उचारे, सब पाप दोष टारे ।
ब्रह्मानन्द ना बिसारे, भव सिन्धु पार तारा ॥
शंकर तेरी जटा में, बहती है गंगाधारा।
काली घटा के अन्दर, जिमि दामिनी उजारा ॥