दशहरा अथवा विजयदशमी का संबंध एक नहीं, दो-दो पौराणिक युद्धों से है

दशहरा अथवा विजयदशमी का संबंध एक नहीं, दो-दो पौराणिक युद्धों से है। अगर त्रेतायुग में भगवान श्रीराम और रावण के बीच संघर्ष इसी दिन समाप्त हुआ था तो वहीं द्वापरयुग में महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध इसी दिन प्रारंभ हुआ था। दो पौराणिक महायुद्धों से संबंध रखने के कारण इस दिन को भारत की योद्धा जातियों ने शस्त्रपूजा के पर्व के रूप में मनाना प्रारंभ किया।



यह केवल भूले-बिसरे इतिहास की बात नहीं है, भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने भी दशहरा पर शस्त्रपूजा की परंपरा को इसके मूलरूप में स्वीकार कर रखा है। थलसेना की सभी रेजीमेंट्स खासकर मराठा, कुमायूँ, जाट, राजपूत तथा गोरखा में दशहरा पर हथियारों की पूजा की जाती है।
इस बार देश को ब्रह्मास्त्र मिलने जा रहा है दशहरा पर। रक्षा मंत्री करेंगे राफेल की पूजा और 8 अक्टूबर को ये ब्रह्मास्त्र हमारी सेना के तरकश में आ जायेगा।