जानिये क्यों होते हैं माला में १०८ दाने - √ जानिये क्यों होते हैं माला में १०८ दाने... ⇒.पूरा पढे

 

महाभारत के युद्ध में भोजन प्रबंधन - ⇒पूरा पढे महाभारत को हम सही मायने में विश्व का प्रथम विश्वयुद्ध कह सकते हैं क्योंकि शायद ही कोई ऐसा राज्य था जिसने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।

भैरव आराधना के दिव्य अचूक मंत्र - ⇒पूरा पढे

बुद्धि तथा धन कि प्राप्ति के लिये प्रतिदिन करे श्री गणेश के इन चौदह नामों का पाठ:- - ⇒पूरा पढे

गौओं को घास खिलाने से श्राद्ध फल - ⇒पूरा पढे

HINDI TONGUE TWISTERS: - ⇒पूरा पढे

जीरा के औषधि गुण:- - ⇒पूरा पढे

कपड़े धोने के नुस्खे:- - ⇒पूरा पढे

श्री कुंज बिहारी अष्टक - ⇒पूरा पढे

स्कूल जाने वाले सभी बच्चों के अभिभावकों तक पहुँचायें - ⇒पूरा पढे

शिशु के देखभाल:- - ⇒पूरा पढे

सुख और दुख दोनों में खुश रहें - ⇒पूरा पढे

दस काम जो पूजा के वक्त हमेशा करने चाहिए - ⇒पूरा पढे Always do 10 things during worships

चौदह वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम कहाँ कहाँ रहे? - ⇒पूरा पढे 1. श्रृंगवेरपुर: - राम को जब वनवास हुआ तो वाल्मीकि रामायण और शोधकर्ताओं के अनुसार वे सबसे पहले तमसा नदी पहुंचे, जो अयोध्या से 20 किमी दूर है।

बांके बिहारी जी की लीला - ⇒पूरा पढे एक व्यक्ति पाकिस्तान से एक लाख रुपैये का रूहानी इत्र लेकर आये थे। क्योंकि उन्होंने संत श्री हरिदास जी महाराज और बांके बिहारी के बारे में सुना हुआ था।

कभी भी भगवान के लिए अपना विश्वास खोने मत दो - ⇒पूरा पढे कभी भी भगवान के लिए अपना विश्वास खोने मत दो

भगवान् सूर्य का परिवार - ⇒पूरा पढे अब आप भगवान् सूर्यनारायण की पत्नी महाभागा राज्ञी एवं निक्षुभा तथा दिंडी और पिंगल आदि के विषय में बताये |

ब्रह्माद्वारा कहा गया भगवान् सूर्य का नाम-स्त्रोत्र - ⇒पूरा पढे ब्रह्माजी बोले – याज्ञवल्क्य ! भगवान् सूर्य जिन नामों के स्तवन से प्रसन्न होते हैं, मैं उनका वर्णन कर रहा हूँ –

ब्रह्माजी की रथयात्रा का विधान और कार्तिक शुक्ल पतिपदा की महिमा - ⇒पूरा पढे सुमन्तु मुनिने कहा – हे राजा सतानिक ! कार्तिक मासमें जो ब्रह्माजी की रथयात्रा उत्सव करता हैं, वह ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है |

ब्राह्मण-पुत्री महादेवी की कथा - ⇒पूरा पढे वैतालने कहा – राजन ! उज्जयिनी नाम की नगरी में चन्द्रवंशमें उत्पन्न महाबल नामसे विख्यात अत्यंत बुद्धिमान तथा वेदादि शास्त्रोंका ज्ञाता एक राजा निवास करता था |

चैत्र, भाद्रपद और माघ शुक्ल तृतीया- व्रत का विधान और फल - ⇒पूरा पढे

अपनी खूबियों और सलाहियतों का सही जगह इस्तेमाल करो, अपने आप को ऐसी जगह मत थकाओ जहां बदले में थकान के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता। - ⇒पूरा पढे

तिलकव्रत के माहात्म्य में चित्रलेखा का चरित्र - ⇒पूरा पढे राजा युधिष्ठिर ने पूछा – भगवन ! ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गौरी, गणपति, दुर्गा, सोम, अग्नि तथा सूर्य आदि देवताओं के व्रत शास्त्रों में निर्दिष्ट हैं

दम्भकी तपस्या और विष्णुद्वारा उसे पुत्र – प्राप्तिका वरदान, शंखचूड का जन्म, तप और उसे वरप्राप्ति, और गांधर्व विवाह की विधिसे तुलसीका पानिग्रहण करना - ⇒पूरा पढे

दामोदर भगवान् - ⇒पूरा पढे एक दिन माता यशोदा भगवान को दूध पिला रहीं थीं तभी उन्हें याद आया कि रसोई में दूध चूल्हे पर चढ़ाया हुआ था, अब तक ऊबल गया होगा।

गजासुर की तपस्या, वर-प्राप्ति और उसका अत्याचार, शिवद्वारा उसका वध, कृत्तिवासा नामसे विख्यात होना तथा कृत्तिवासेश्वर – लिंग की स्थापना करना - ⇒पूरा पढे

गणेशजी का विघ्न-अधिकार तथा उनकी पूजा-विधि - ⇒पूरा पढे राजा शतानीक ने सुमन्तु मुनि से पूछा – विप्रवर ! गणेशजी को गणों का राजा किसने बनाया और बड़े भाई कार्तिकेय के रहते हुए ये कैसे विघ्नों के अधिकारी हो गये ?

गणेश विनायकजी की कहानी - ⇒पूरा पढे

गौरी-तृतीया-व्रत-विधान और उसका फल - ⇒पूरा पढे सुमन्तु मुनिने कहा – राजन ! जो स्त्री सब प्रकार का सुख चाहिती है, उसे तृतीया का व्रत करना चाहिये | उस दिन नमक नहीं खाना चाहिये |

गुणाकर की कथा - ⇒पूरा पढे वैताल ने पुन: कहा – राजन ! उज्जयिनी में महासेन नामका एक राजा था | उसके राज्य में देवशर्मा नामका एक ब्राह्मण रहता था |

हरिस्वामी की कथा - ⇒पूरा पढे किये गये कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है

जम्बूद्वीप में सूर्यनारायण की आराधना के तीन प्रमुख स्थान दुर्वासा मुनिका साम्ब को शाप देना - ⇒पूरा पढे

जीवन में ज्ञान की कमाई - ⇒पूरा पढे

रूद्रकिंकर वैतालने राजा विक्रमादित्य से कहा – महाराज ! कान्यकुब्ज (कन्नौज) में दानशील, सत्यवादी एवं देवी-पूजनमें तत्पर एक ब्राह्मण रहता था | - ⇒पूरा पढे

जीवन के फैसले - ⇒पूरा पढे

कबीर-पुत्र कमाल की कथा - ⇒पूरा पढे

कर्म से हीं फल है - ⇒पूरा पढे कर्म से हीं फल है

कात्यायन तथा मगध के राजा महानंद की कथा - ⇒पूरा पढे सूतजी बोले – शौनक ! उज्जयिनी नगरी में एक हिंसापरायण मद्य-मांस-भक्षी भीमवर्मा नामका क्षत्रिय रहता था |

श्रीकृष्ण-साम्ब-संवाद तथा भगवान् सूर्यनारायण कि पूजन-विधि - ⇒पूरा पढे

ललिता तृतीया –व्रत की विधि - ⇒पूरा पढे

लक्ष्मी जी कमल के फूल के साथ क्या संदेश देती हैं - ⇒पूरा पढे

महाराज विक्रमादित्य के चरित्र का उपक्रम - ⇒पूरा पढे महाराज विक्रमादित्य के चरित्र का उपक्रम

महर्षि च्यवन की कथा एवं पुष्पद्वितीया – व्रत की महिमा - ⇒पूरा पढे

महर्षि पाणिनि का इतिवृत्त - ⇒पूरा पढे महर्षि पाणिनि का इतिवृत्त

मालिक कौन - ⇒पूरा पढे

सच्चे भक्त जीवन के हर क्षण को भगवान का आशीर्वाद मानकर उसे स्वीकार करते हैं सुख और दुःख प्रभु की ही कृपा और कोप का परिणाम ही तो हैं । - ⇒पूरा पढे

श्रीपंचमीव्रत कथा - ⇒पूरा पढे

एक बूढ़ा ब्राह्मण था वह रोज पीपल को जल से सींचता था । - ⇒पूरा पढे

प्रेम की देवी श्रीराधा - ⇒पूरा पढे

रहस्य-सप्तमी-व्रत के दिन त्याज्य पदार्थ का निषेध तथा व्रत का विधान एवं फल - ⇒पूरा पढे

राजा भोज और महामद की कथा - ⇒पूरा पढे सूतजी ने कहा – ऋषियों ! शालिवाहन के वंश में दस राजा हुए | उन्होंने पाँच सौ वर्षतक शासन किया और स्वर्गवासी हुए | तदनंतर भूमंडलपर धर्म-मर्यादा लुप्त होने लगी |

राजा धर्मवल्लभ और मंत्री सत्यप्रकाश की कथा - ⇒पूरा पढे

राजा रूपसेन तथा वीरवर की कथा - ⇒पूरा पढे सूतजी बोले – महामुने ! एक बार रुद्र्किंकर वैताल ने सर्वप्रथम भगवान शंकर का ध्यान किया और फिर महाराज विक्रमादित्य से इस प्रकार प्रारम्भ किया

राम नाम कि महिमा - ⇒पूरा पढे एक बार की बात है एक महात्मा रात्रि के समय ‘श्रीराम’ नाम का जप करते हुये किसी घने जंगल से गुजरे

राम नाम कि महिमा - ⇒पूरा पढे एक बार समुद्र तट पर एक मनुष्य उदास बैठा था । तभी उधर से रामभक्त लंकापति विभीषण गुजरे । उन्होंने उस मनुष्य से पूछ- “तुम उदास क्यों है ? मुझे बताओ ।”

रथसप्तमी तथा भगवान् सूर्य की महिमा का वर्णन - ⇒पूरा पढे रथसप्तमी तथा भगवान् सूर्य की महिमा का वर्णन

रोगह्य एवं महाश्वेतवार – व्रत की विधि - ⇒पूरा पढे

सरस्वती व्रत का विधान और फल - ⇒पूरा पढे

शब्दों का जहर - ⇒पूरा पढे

व्रतोपवास की महिमा में शकटव्रत की कथा - ⇒पूरा पढे

भगवान कार्तिकेय तथा उनके षष्ठी – व्रत की महिमा - ⇒पूरा पढे

महाभारत के युद्ध में भोजन प्रबंधन - ⇒पूरा पढे श्रावणपूर्णिमा को रक्षाबंधन की विधि

शुक्राचार्य की घोर तपस्या और इनका शिवजी को चित्ररत्न अर्पण करना तथा अष्टमृर्त्यष्टक – स्तोत्रद्वारा उनका स्तवन करना, शिवजी का प्रसन्न होकर मृतसंजीवनी विद्या प्रदान करना - ⇒पूरा पढे

सिद्धार्थ-सप्तमी- व्रत के उद्यापन की विधि - ⇒पूरा पढे

स्कन्द – षष्ठी – व्रत की महिमा - ⇒पूरा पढे

सूर्यनारायण की द्वादश मूर्तियों का वर्णन - ⇒पूरा पढे

उमामहेश्वर व्रत की विधि - ⇒पूरा पढे

बाणासुर की तपस्या और उसे शिवद्वारा वर-प्राप्ति, शिव की आज्ञा से श्रीकृष्ण का उन्हें जृम्भणास्त्रसे मोहित करके बाण की सेना का संहार करना - ⇒पूरा पढे

विनायक – पूजा का माहात्म्य - ⇒पूरा पढे

विष्णुद्वारा तुलसी के शील-हरणका वर्णन, कुपित हुई तुलसीद्वारा विष्णु को शाप, - ⇒पूरा पढे

व्याधकर्मा की कथा - ⇒पूरा पढे

गाय का झूठा गुड़ - ⇒पूरा पढे एक शादी के निमंत्रण पर जाना था, पर मैं जाना नहीं चाहता था। एक व्यस्त होने का बहाना और दूसरा गांव की शादी में शामिल

गौ महिमा - ⇒पूरा पढे एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा- नाथ! आपने बताया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति भगवान् के मुख से हुई है; फिर गौओं की उससे तुलना कैसे हो सकती है ? विधाता!

भगवान शंकर के पूजा अर्चना के बारे में जानकारी - ⇒पूरा पढे जिस भीषण हलाहल विष से सब देवतागण जल रहे थे उसको जिन्होंने स्वयं पान कर लिया, रे मन्द मन! तू उन शंकरजी को क्यों नहीं भजता? उनके समान कृपालु (और) कौन है?

बहुत ही सुंदर कथा - ⇒पूरा पढे एक ब्राह्मण यात्रा करते-करते किसी नगर से गुजरा बड़े-बड़े महल एवं अट्टालिकाओं को देखकर ब्राह्मण भिक्षा माँगने गया किन्तु किसी ने भी उसे दो मुट्ठी अऩ्न नहीं दिया आखिर दोपहर हो गयी ब्राह्मण दुःखी होकर अपने भाग्य को कोसता हुआ जा रहा थाः

प्रेरक कहानी: हे श्री कृष्ण! तुम सर्वज्ञ हो.. - ⇒पूरा पढे एक वृद्ध महिला एक सब्जी की दुकान पर जाती है, उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होते है। वो दुकानदार से प्रार्थना करती है कि उसे सब्जी उधार दे दे पर दुकानदार मना कर देता है।

जैसा खाया अन्न वैसा बना मन - ⇒पूरा पढे बासमती चावल बेचने वाले एक सेठ की स्टेशन मास्टर से साँठ-गाँठ हो गयी। सेठ को आधी कीमत पर बासमती चावल मिलने लगा। सेठ ने सोचा कि इतना पाप हो रहा है, तो कुछ धर्म-कर्म भी करना चाहिए।

अंगो के फड़कने का रहस्य - ⇒पूरा पढे अन्य प्राणियों की तुलना में हमारा शरीर काफी संवेदनशील होता है। यही कारण है कि भविष्य में होने वाली घटना के प्रति हमारा शरीर पहले ही आशंका व्यक्त कर देता है।

जगत की रीत - ⇒पूरा पढे एक बार एक गाँव में पंचायत लगी थी। वहीं थोड़ी दूरी पर एक सन्त ने अपना बसेरा किया हुआ था। जब पंचायत किसी निर्णय पर नहीं पहुच सकी तो किसी ने कहा कि क्यों न हम महात्मा जी के पास अपनी समस्या को लेकर चलें अतः सभी सन्त के पास पहुँचे।

बहुत शिक्षाप्रद कहानी है हम सबके जीवन से जुड़ी। पढ़े - ⇒पूरा पढे एक अतिश्रेष्ठ व्यक्ति थे , एक दिन उनके पास एक निर्धन आदमी आया और बोला की मुझे अपना खेत कुछ साल के लिये उधार दे दीजिये ,मैं उसमे खेती करूँगा और खेती करके कमाई करूँगा।

सात शरीर,सात जगत और सात चक्र - ⇒पूरा पढे आत्मा के सात शरीर होते हैं और जिन जिन परमाणुओं से वे सातों शरीर निर्मित होते हैं,उन्ही-उन्ही परमाणुओं से सात लोकों का भी निर्माण हुआ है जो निम्न लिखित हैं--

अगाध भक्ति और प्रेम की कथा -"शबरी" और उसकी" नवधा भक्ति" - ⇒पूरा पढे शबरी का उल्लेख रामायण में भगवान श्री राम के वन-गमन के समय मिलता है। शबरी को श्री राम के प्रमुख भक्तों में गिना जाता है। अपनी वृद्धावस्था में शबरी हमेशा श्री राम के आने की प्रतीक्षा करती रहती थी। राम उसकी कुटिया में आयेंगे,

महर्षि वाल्मीकि का पहले का नाम रत्नाकर था - ⇒पूरा पढे महर्षि वाल्मीकि का पहले का नाम रत्नाकर था। इनका जन्म पवित्र ब्राह्मण कुल में हुआ था, किन्तु डाकुओं के संसर्ग में रहने के कारण लूट-पाट और हत्याएँ करने लगे और यही इनकी अजीविका का साधन बन गया। इन्हें जो भी मार्ग में मिल जाता, ये उसकी सम्पत्ति लूट लिया करते थे।

भगवान शिव का अनुपम सौंदर्य - ⇒पूरा पढे एक बार गणेशजी ने भगवान शिवजी से कहा, पिताश्री ! आप यह चिताभस्म लगाकर, मुण्डमाला धारणकर अच्छे नहीं लगते, मेरी माता गौरी अपूर्व सुंदरी और आप उनके साथ इस भयंकर रूप में।

दशहरा अथवा विजयदशमी का संबंध एक नहीं, दो-दो पौराणिक युद्धों से है - ⇒पूरा पढे त्रेतायुग में भगवान श्रीराम और रावण के बीच संघर्ष इसी दिन समाप्त हुआ था तो वहीं द्वापरयुग में महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध इसी दिन प्रारंभ हुआ था।

हीरों का हार - ⇒पूरा पढे हम जिस सांसारिक चीज में सुख-शांति और आनंद देखते हैं दरअसल वह उसी हार की तरह है जो क्षणिक सुखों के रूप में परछाई की तरह दिखाई देता है

खाटूश्याम का मंदिर कहाँ है और कैसे पहुंचें - ⇒पूरा पढे खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक है महाभारत के अनुसार बर्बरीक का सिर राजस्थान प्रदेश के खाटू नगर में दफना दिया था

मूलभूत सिद्धांत - ⇒पूरा पढे जन्मकुंडली १२ भावों में विभाजित होती है और प्रत्येक भाव का अपना कारकत्व होता है।

राधा की जलन - ⇒पूरा पढे एक बार राधा कृष्ण आपस में बाते कर रहें थे। राधा ने कृष्ण से कहा कि तुम मुरली बजाते हो तो मैं सुधबुध खो बैठती हूं औऱ रातभर मेरी आंखे खुली रहती हैं।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - ⇒पूरा पढे एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर भगवान्‌ शिव का दर्शन प्राप्त करने के लिए बड़ी घोर तपस्या की। उसने एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाना शुरू किए।

वृंदावन का इतिहास - ⇒पूरा पढे वृन्दावन सो वन नहीं , नन्दगांव सो गांव। बंशीवट सो बट नहीं, कृष्ण नाम सो नाम ।।

कर्मो का फल - ⇒पूरा पढे महाराज धृतराष्ट्र ने भगवान् वेदव्यासजी महाराज से पूछा कि महाराज ! मेरे सौ पुत्र मेरे सामने मारे गये, बड़ा आश्चर्य है ! मुझे अपने पिछले सौ जन्मों का स्मरण है कि मैंने एक भी पाप उनमें नहीं किया, फिर मेरे सौ बेटे क्यों मरे मेरे सामने ?

कर्मों का हिसाब - ⇒पूरा पढे किसी नगर में एक सेठ रहता था। समय के फेरे से वह अत्यंत गरीब हो गए । पुनः समृद्धि के लिए हमेशा गोपाल सहस्रनाम का पाठ, अर्चना आदि किया करते।

गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी - ⇒पूरा पढे 1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं

जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनायें। - ⇒पूरा पढे ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।

तुम्हारा कोई गुरु है - ⇒पूरा पढे एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है।

तुलसी का पौधा और परिवार - ⇒पूरा पढे तुलसी का पौधा किचन के पास रखने से घर के सदस्यों में आपसी प्रेम, सामंजस्य बना रहता है।

पति पत्नी का एक खूबसूरत संवाद - ⇒पूरा पढे मैंने एक दिन अपनी पत्नी से पूछा- क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता मैं बार-बार तुमको बोल देता हूँ, डाँट देता हूँ फिर भी तुम पति भक्ति में लगी रहती हो जबकि मैं कभी पत्नी भक्त बनने का प्रयास नहीं करता?

रानियों के मन की व्यथा - ⇒पूरा पढे जब भगवान श्री कृष्ण पृथ्वी लोक पर अपनी लीला समाप्त करके अपने धाम को चले गए तब भगवान की विरह-वेदना में उनकी सोलह हजार रानियाँ दुखी रहने लगीं

शिव भगवान अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं - ⇒पूरा पढे भक्त सावन के पूरे महीने में भगवान शिव की पूरे मन से पूजा करते हैं ताकि वह उन्हें खुश कर सके।

श्राद्ध पक्ष की पौराणिक कथा - ⇒पूरा पढे श्राद्ध पक्ष की पौराणिक कथा

स्नान कब और कैसे करें - ⇒पूरा पढे स्नान कब और कैसे करें घर की समृद्धि बढ़ाना आपके हाथ में है। धर्म शास्त्र में सुबह चार प्रकार के स्नान होते हैं।

ज्वालामुखी - ⇒पूरा पढे विश्व के ज्वालामुखी

भारत एवं विश्व के नदियाँी - ⇒पूरा पढे भारत एवं विश्व के नदियाँ

भारत का भूगोल - ⇒पूरा पढे भारत का भूगोल

भारत के अभ्यारण्य - ⇒पूरा पढे भारत के अभ्यारण्य

भारत के प्रमुख दर्रे - ⇒पूरा पढे भारत के प्रमुख दर्रे

भारत में ऊर्जा के संसाधन - ⇒पूरा पढे भारत में ऊर्जा के संसाधन

भारत में खनिज - ⇒पूरा पढे भारत में खनिज

भारत में जल परिवहन - ⇒पूरा पढे भारत में जल परिवहन

भारत में वायु परिवहन - ⇒पूरा पढे भारत में वायु परिवहन

भारत में सड़क परिवहन - ⇒पूरा पढे भारत में सड़क परिवहन

भारत में सबसे बड़ा, ऊँचा और लम्बा - ⇒पूरा पढे भारत में सबसे बड़ा, ऊँचा और लम्बा

भारतीय डाक प्रणाली - ⇒पूरा पढे भारतीय डाक प्रणाली

भारतीय रेल परिवहन - ⇒पूरा पढे भारतीय रेल परिवहन

भूगोल : अक्षांश व देशान्तर - ⇒पूरा पढे भूगोल : अक्षांश व देशान्तर

मेघ एवं वर्षण - ⇒पूरा पढे मेघ एवं वर्षण

वायुमंडल की संरचना - ⇒पूरा पढे वायुमंडल की संरचना

विश्व की नहरें - ⇒पूरा पढे विश्व की नहरें

विश्व की प्रमुख जलसंधियाँ - ⇒पूरा पढे विश्व की प्रमुख जलसंधियाँ

विश्व की प्रमुख वनस्पति - ⇒पूरा पढे विश्व की प्रमुख वनस्पति

विश्व के प्रमुख उद्योग - ⇒पूरा पढे विश्व के प्रमुख उद्योग

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Corona Virus News Update - 15-March-2020 - ⇒.पूरा पढे

 

चीन से भारत पहुंची कोरोना वायरस की आफत: ऐसे पहचाने लक्षण, बचाव के लिए अपनाए ये तरीके - ⇒.पूरा पढे

 

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