मूलभूत सिद्धांत
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जन्मकुंडली १२ भावों में विभाजित होती है और प्रत्येक भाव का अपना कारकत्व होता है। किसी जन्मकुंडली का विश्लेषण करने के लिए उसके प्रत्येक भाव तथा नौ ग्रहों के कारकत्वों का ज्ञान आवश्यक है। यहाँ कुंडली के प्रत्येक भाव के कारकत्व का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है।
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इस प्रकार हमारे जीवन के सभी विषयों को किसी भाव विशेष से देखा जाता है। यदि हमें भाव का ज्ञान हो तो हम उस भाव से सम्बंधित विषय का ज्ञान ज्योतिष के द्वारा कर सकते है।
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इन परिस्थितियों में ग्रह निर्बल होते हैं। लेकिन इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि यदि उपरोक्त स्थिति में स्थित ग्रह यदि केन्द्रोश या त्रिकोणेश से संबंध बनाये तो भी शुभ फल सन्धाता हो जाता है।