राधा की जलन - Radha Ki Jalan

एक बार राधा कृष्ण आपस में बाते कर रहें थे। राधा ने कृष्ण से कहा कि तुम मुरली बजाते हो तो मैं सुधबुध खो बैठती हूं औऱ रातभर मेरी आंखे खुली रहती हैं।
एक काम करो मुझे मुरली बजाना सिखा दो, जब नींद नहीं आएगी तो मुरली बजाकर मैं अपना मन बहला लिया करूंगी।
कृष्णा ने कहा ठीक है राधा मैं तुम्हारे लिए कल मुरली लाऊंगा, तुम उसे बजाना।
इस पर राधा ने पूछा कि नई मुरली क्यो लाओगे, अपनी मुरली बजाना ही सीखा दो।
इस पर कृष्णा ने कहा कि- अगर मैंने अपनी मुरली बजा दी तो पूरा ब्रह्मांड जाग जाएगा उन्हें कैसे संभालोगी तुम।
इस बात को सुनकर राधा को जलन हो गई। उन्होंने कहा कि कान्हा ये तुम्हारा अंहकार है।
राधा जैसा प्रेम और कौन करेगा। जो इस प्रकार लोक लाज, रिश्ते नाते सब छोड़कर तुम्हारे पीछे घूमेगी।
इस पर कृष्णा ने कहा- अब अंहकार तो तुम कर रही हो राधे।



राधा ने कहा कि जिसे तुम अधिकार कह रहे हो वह प्रेम का अधिकार है। अगर तुम्हें अंहकार है अपनी प्रियत्माओं पर तो बजोओ मुरली। आज सबके प्रेम की परीक्षा हो जाएगी।
इतना कह कर राधा ने कृष्ण को घेरकर एक रेखा खींच दी और कहा की
जो भी तुम्हें मेरे जितना प्रेम करती होगी वही इस रेखा को पार कर पाएगी वरना जल के भस्म हो जाएगी।
इसके बाद कृष्णा ने मुरली बजाई तो सभी मंत्रमुग्ध हो गए।
सारी स्त्रियों की आत्माएं कान्हा की मुरली की धुन सुनकर उनके पीछे मतवाली होकर आने लगीं।
जब सारी गोपियां कृष्ण के पास खड़ी हुईं तो राधा की जलन और बढ़ गईं।
उन्होंने रेखा के पास आग लगा दी ताकी जो कृष्णा जैसा उनसे प्रेम ना करता हो वह वहीं जल के भस्म हो जाए।
जितनी गोपियां थी वह एक एक कर के रेखा के अंदर चली आईं और कोई नहीं जला।



राधा ग्लानी से रोने लगीं। उन्होंने कृष्णा से माफी मांगते हुए कहा कि- आज तक मैं ही सिर्फ तुम पर अपना अधिकार समझती थी, लेकिन आज मेरा अंहकार टूट गया।
तब कृष्णा नो उन्हें समझाया कि जितनी गोपियां मेरे समीप हैं वह असल में कोई और नहीं बल्कि तुम्हारा ही एक रुप हैं।
वहां मौजूद हर एक स्त्री में राधा का चेहरा दिखने लगा।
हर एक चेहरे में राधा का ही चेहरा था।
कृष्णा ने समझाया कि मुझे तुमसे अधिक कोई और प्यार नहीं कर सकता। इसके बाद राधा की जलन खत्म हो गई।